लेखनी प्रतियोगिता -17-Nov-2022 एक और श्रद्धा
एक और श्रद्धा
दिल्ली की श्रद्धा का शोक अभी खत्म हुआ नहीं था
आंख का आंसू अभी सूखा भी नहीं था
समाज और आधुनिकता को अभी
पूरी तरह कोसा भी नहीं गया था
न्याय प्रणाली का रोना भी रोया नहीं गया था
पुलिस को गालियां अभी कम ही पड़ी थीं
"लव जिहाद" की सांसें अभी नहीं उखड़ी थीं
कि इतने में एक और समाचार आ गया
उसे सुनकर सनातनियों में हाहाकार छा गया
लखनऊ में एक कारनामा अंजाम दे दिया गया
चार मंजिल के फ्लैट से "निधि" को फेंक दिया गया
फेंकने वाला भी "आफताब" का ही भाईजान था
प्रेम की खाल ओढकर छुपा हुआ एक हैवान था
इसके प्यार करने का तरीका कुछ और था
मुहब्बत की मस्ती का आलम शायद पुरजोर था
"कसाई" तो काटने का ही काम करता है
"आसमानी किताब" के हर्फों का सम्मान करता है
"विधर्मियों" को काटना उनका धर्म है
"गजवा ए हिन्द" बनाना उनका कर्म है
ये बात "श्रद्धा" और "निधि" क्यों नहीं जानती ?
अपनी संस्कृति को ये "आधुनिकाएं" क्यों नहीं मानती ?
मां बाप की सलाह भी उन्हें नहीं चाहिए
तो फिर उन्हें इस अंजाम के लिए तैयार रहना चाहिए
जब अपना ही सिक्का खोटा होता है
तो सच बात कहें, दर्द बहुत होता है
दिल खून के आंसू रोता है
परिवार जिंदगी आंसुओं में भिगोता है
पर इन लड़कियों के दिमाग में
अभी भी प्यार का भूत क्यों होता है ?
इनको इन "कसाइयों" से ही प्यार क्यों होता है ?
ये और कब तक कटती रहेंगी ?
चार मंजिल से और कब तक फिंकती रहेंगी ?
जब कटना ही है तो काट के मरो ,ये बात वे कब समझेंगी ?
श्री हरि
17.11.22
Gunjan Kamal
25-Nov-2022 01:21 PM
बहुत खूब
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Sachin dev
18-Nov-2022 04:15 PM
Well done ✅
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Abhinav ji
18-Nov-2022 08:52 AM
Very nice👍
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